bhairav kavach for Dummies
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विरचरन्त्यत्र कुत्रापि न विघ्नैः परिभूयते।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्डभैरवः
श्रद्धयाऽश्रद्धया वापि पठनात्कवचस्य तु । प्रयत्नतः पठेद्यस्तु तस्य सिद्धिः करेस्थितः ।।
नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे
वामपार्श्वे समानीय शोभितां वर कामिनीम् ।।
इह लोके महारोगी दारिद्र्येणातिपीडितः ॥ २९॥
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥
कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक click here शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।
महाकालोऽवतु च्छत्रं सैन्यं वै कालभैरवः
न किञ्चिद् दुर्लभं तस्य दिवि वा भुवि मोदते ॥ ४॥